क्यों कहा जाता है रूपकुंड को रहस्यमयी एवं कंकालों वाली झील।
उत्तराखंड को देवताओं का वास माना जाता है इसलिए इसे देवभूमि भी कहा जाता है। यहां पर दंत कथाओं जागरों में देवताओं के जाने अनजाने कितने रहस्य छुपे हुए हैं। उन्हीं में एक है रूपकुंड जिसको माता नंदा का कुंड भी कहा जाता है। इसी कुंड मेंं ना जाने कितनेे रहस्य छुपे हुए हैं जिनका अभी तक कोई पता नहीं चल पाया है। यह कुंड उत्तराखंड के चमोली जिले के त्रिशूल पर्वत के पास देवाल क्षेत्र में स्थित है। यहां तक का रास्ता कठिनाइयों से भरा हुआ है । रूपकुंड की उत्पत्ति की कहानी: रूपकुंड की उत्पत्ति के बारे में यहां के जागरों तथा लोक गीतों से पता चलता है कि जब मां नंदा भगवान शंकर जी से विवाह करके कैलाश पर्वत को जा रही थी तो मां नंदा को बड़ी प्यास लगी और मां नंदा ने अपनी प्यास बुझाने के लिए भगवान शंकर से कहा तो उन्होंने अपना त्रिशूल निकाला तथा धरती पर मारा जिससे यहां पर पानी आ गया और एक कुंड का निर्माण हो गया। ...